माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
रिमझिम बारिश भिगे भीगे ये बाल बहता हुवा पानी भर दो सारे ताल
छिप गया सूरज झुमने लगे बादल । बुंदे बारिशकी सब कूछ ओझल ।
हीलती हुवी पत्तिया डोले पेडका आचल । भिग गई ये धरा निखरा रूप असल । Sanjay R.
Post a Comment
No comments:
Post a Comment