माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
हम बदले आप बदले ये शहर भी बदल गया । बदलना तो सबको था बस आसमान रहे गया ।
भरता था झोला ले जाते थे जब चवन्नी । मोल क्या रहा अब भर लो पैंसोसे पन्नी ।
तन बदला मन बदला बदल गयी कहानी । जिने के लिये सब करते अपनो परही मन मानी । Sanjay R.
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