बात है कुछ पहलेकी
दिन हुवे हो दो चार ।
उमडा था दिलमे
यूही मेरा प्यार ।
देखकर उनको
दिलमे हुई बहार ।
हसता चेहरा भोली सुरत
गाल गुलाबी जैसे अनार ।
सुंदरसी चमकीली आखे
ओठ शराबी गलेमे हार ।
जी कहेता रहा
कैसे करू मै दिदार ।
झोका हवाका आये
और तूट जाये दिवार ।
उलझन मी था दिल
किससे करू तकरार ।
कह दे वह कुछ भी
ना करू इनकार ।
करू मै उनसे
बस प्यार ही प्यार ।
बुझा दो बुझा दो
अब दिलमे लगी अंगार ।
Sanjay R.
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