वाटतं तुझ्याही फोटोवर
एक कविता लिहावी ।
सौंदर्याची तुझ्या
स्तुती थोडी करावी ।
हास्स्याची एक एक छटा
निरखुन थोडी बघावी ।
आनंदाच्या क्षणांची
उधळण थोडी जगावी ।
Sanjay R.
Wednesday, November 22, 2017
" आनंद "
Tuesday, November 21, 2017
" परछाई "
कोइ अनजाना
कोइ अजनबी ।
रोज तो नही पर
मिलता कभी कभी ।
मील गया वो रात कल
थी आवाज कुछ दबी दबी ।
कह गया परछाई हु
लुट गया सब अभी अभी ।
खोनेको न बचा कुछ
तुट गये रीश्ते सभी ।
दिलमे फिर भी उम्मीद बाकी
चल रही सांसे तभी ।
Sanjay R.
" कत्ल "
देखा एक नजर जब
आखोमे तेरी ।
जाने कब मेरा
कत्ल ये दिल हो गया ।
बची है कुछ
सांसे अभी ।
के रुकने के पहले
दिल धडक गया ।
आह भी ना निकली
ना आसु टपके ।
कानोमे मेरी वो
कुछ कह गया ।
वक्त आया आखरी
फिरभी लगी है आस ।
अलविदा कहने
दिल तरस गया ।
Sanjay R.
Monday, November 20, 2017
" आखोकी नमी "
पाहिले मनात जे स्वप्न मी
क्या थी कुछ उसमे कमी ।
निरभ्र झाले आकाश सारे
राह देखती अब यह जमीं ।
ये परतुनी उणीव आहे तुझी
मीटा दे अब आखोकी नमी ।
सुन्या सुन्या या विश्वात माझ्या
ना कर और मुझे तु जख्मी ।
Sanjay R.
Saturday, November 18, 2017
" झाली राधा धरा "
पहाटेचा गार वारा
परतला शुक्र तारा ।
फुलवला सुर्याने
तांबडा लाल पिसारा ।
वाजे दुर घंटा नाद
वाहे श्रद्धेचा झरा ।
बासरीच्या सुरात
झाली राधा धरा ।
Sanjay R.