हे दिल मेरे तू सून जरा
शब्द मेरे तू सून जरा
बस तू सून जरा
जो भी कहूँगा अब मै
ध्यान तू अब दे जरा
तू सून जरा
कौन सुनता यहा किसीकी
फट गये है परदे कानके
बस तू सून जरा
न रहा लगाम जुबापे
चाहे जो कह दो कुचभी
बस तू सून जरा
नही पता धमनीयो मे
बहता रक्त या पानी
तू सून जरा
मरने मारनेमे उतारू सब
चैन कबका खो गया
तू सून जरा
बंधी है आखोपे पट्टी
दिखता नही अब कुछ
तू सून जरा
मीट गयी मिट्टीमे इज्जत आब्रू
शरम बचेगी कैसे तू बता
बस तू सून जरा
सोच भी खो गई कबकी
आत्मा भी तो मर गयी
तू सून जरा
लाश बन गया हू अब मै
न जाने दिलभी कब मर गया
बस अब तू सून जरा
Sanjay R.
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