Tuesday, June 19, 2018

" मौत "

आज अलगसा कुछ करते है
चलो जी कर थोडा मरते है

न जाने कितने रोज मरते है
और कुछ जीते जी मरते है

भूक प्यास दवा दारू
और कभी हालात
कारण तो और भी बहोत होते है

किसीका जुनून किसीकी हवस
कही लढाई कही झगडा
कुछ तो मरते है बिना कोई लफडा

सस्ती है मौत यहा मरनेवाला मरता है
कोई अपना रोता है अपनेको खोता है

और मारनेवाला लाशोके ढेर पर सोता है
पता नही कैसे चैन की सास लेता है

खुदको आतंकवादी कहता है
मौत से वो भी तो डरता है
Sanjay R.


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