Saturday, June 23, 2018

" काला अंधेरा "

क्या मोहब्बत क्या इष्क
चाहतमे उनके भूल गया सब कुछ  ।

जहाँ भी देखू नजर आये वह
हाल दिलका तु मुझसे ना पुछ  ।

खो गयी राते निंदकी
दिन का भी तो आलम वही  ।

धुंडती है बस नजरे तुम्हीको
मिट न जाये ये पलके कही  ।

जी रहा हु अब मै तुम्हारी यादोमे
हसता मुस्कुराता तुम्हारी ख्वाबोमे ।

न जाने यूही बिते कितने दिन
सोचता क्या बचा अब तुम्हारे यादोमे  ।

देख रहा अब मै एक तुटता तारा
चमचमता वह खूबसूरत सितारा  ।

बादलोमे न जाने कैसे गुम हुवा
अब तो बचा सिर्फ काला अंधेरा  ।
Sanjay R.



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