क्या मोहब्बत क्या इष्क
चाहतमे उनके भूल गया सब कुछ ।
जहाँ भी देखू नजर आये वह
हाल दिलका तु मुझसे ना पुछ ।
खो गयी राते निंदकी
दिन का भी तो आलम वही ।
धुंडती है बस नजरे तुम्हीको
मिट न जाये ये पलके कही ।
जी रहा हु अब मै तुम्हारी यादोमे
हसता मुस्कुराता तुम्हारी ख्वाबोमे ।
न जाने यूही बिते कितने दिन
सोचता क्या बचा अब तुम्हारे यादोमे ।
देख रहा अब मै एक तुटता तारा
चमचमता वह खूबसूरत सितारा ।
बादलोमे न जाने कैसे गुम हुवा
अब तो बचा सिर्फ काला अंधेरा ।
Sanjay R.
No comments:
Post a Comment