मीलना मै चाहू तुझसे
पर कैसे कहू ।
अंजानी यह दोस्ती
मै कैसे कहू ।
चाहत दीलमे इतनी
तूही बता कैसे रहू ।
यादे भी अब रुकती नही
बता कैसे रहु ।
आखे धुंडती तुझे सदा
मै क्या कैसे सहू ।
बेचैन है यह दिल
मै कैसे कैसे सहु ।
आ लौट के तू आ
मै तो वही हू ।
चाहत भी मेरी है वही
मै भी वही हू ।
Sanjay R.
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