माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
अब भी हमे इंतजार है उनके दो लबजो का । दिलमे है उलझान कुछ डर लागता है उन्हे खोने का । तरस गये अब कान दोनो हाल बुरा है आखोका ।
होठ भी कुछ कहते नही सून लो आवाज रोने का । Sanjay R.
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