माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
जीनेको क्या चाहीये एक सांस है काफी । तन मन धन और क्या रह गया सब बाकी ।
चाहतको कोन रोक पाया बच्चाभी चाहता एक टॉफी । कभी न भरता ये दिल बस दुनिया है एक झाकी । Sanjay R.
Post a Comment
No comments:
Post a Comment