Thursday, December 27, 2018

" चार ओळींचे दार "

" " चार ओळी " "

" दार "

न्हाई भीती न्हाई छत
सताड उघडं दार ।
आनंदी सारे झोपळीत माह्या
ह्याच जीवनाचा सार ।
Sanjay R.

" अतूट बंध "

तुझ्या आणि माझ्यातला
एक अतूट बंध ।

जसा अंगणात फुलला मोगरा
आणि दरवळतो सुगंध ।

चल वेचू या दोघेही यातून
मैत्रीचा आनंद ।
Sanjay R.

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" नातं "

तुझं माझं नात
गीत मंजुळ गात ।
स्वर अंतरातले त्यात
आहेत ते सात ।
Sanjay R.

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" प्यार मेरा "

तू क्या जाने प्यार मेरा
याद करता हु चेहरा तेरा
खो जाता हु यादोमे तेरे
लागती तुम हो हर सितारा
गालोमेही सही हसदो थोडी
झूम उठेगा आसमान सारा ।
Sanjay R.

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" सरली रात "

सरली रात
उजिडल आता
पडलं झाकटं ।
उठ ना बाबू
शिवाचं हाये
पूरच घर फाटकं ।
Sanjay R.

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" गुलाब "

गुलाबाचा रंगच किती न्यारा
वाटते साऱ्यायलेच प्यारा ।
संग काट्यायच्या रायते तरी
देते कोमय मनाचा इशारा ।
Sanjay R.

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