Friday, July 7, 2017

" आखे भी रो बैठे "

हम उनकी चाहत मे
खुदको ही खो बैठे ।
देखके तडप दिलकी
आखे भी रो बैठे ।

सामने जब आये वो
ना समझ पाये आखे ।
दिलतो था पागल मगर
रुकसी गयी कुछ सासे ।

अब भी ढुंडता हु मै
निशान उनके उसी जगह
रोक कर बहती हवाको
कहता लौटनेको उसी जगह ।
Sanjay R.

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