Friday, July 14, 2017

" क्यु हम अकेले "

" कैसा ये बुढापा "

आज क्यु हम अकेले है ।।
धुल मीट्टी यही पर तो खेले है ।
सीखे थे जब चलना हम
गिरते उठते फिर चलते संभले है ।
आज क्यु हम अकेले है ।।

पढ लिख कर अब पहुचे यहा
उन तमाम गुरुओके हम चेले है
लाख तुफान आये फीर भी
अबभी खुदको संभाले है ।
आज क्यु हम अकेले है ।।

ताकद हिम्मत थी जब साथ हमारे
आज वहीतो दुनिया वाले है ।
थक से गये मर से गये
जिंदगी अब हम तेरे हवाले है ।
आज क्यु हम अकेले है ।।

दिन गिनके हम जिते अब भी
कोइ बता दे फीर भी क्यु लाले है ।
खोल दे अब तु बंद दरवाजा
प्रभु हम तेरे घर वाले है ।
आज हम क्यु अकेले है ।।
Sanjay R.

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