माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
कभी आर कभी पार । भटकता द्वार द्वार । भवरेको देखो गंध की पुकार । छुते चुमते तितली का प्यार । जिवन का रंग खुशीयोकी बहार । Sanjay R.
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