Monday, November 27, 2017

" साथ "

एक अनजानीसी
थी वह रात ।
चांदनी की
चांदसे मुलाकात ।
लीये थे दोनो
हातोमे हात ।
चांदने कही 
दिलकी बात ।
कितना अतुट
दोनोका साथ ।
Sanjay R.

Friday, November 24, 2017

" तुम हो परी "

कुछ बाते खयालो मे
कुछ वादे खयालो मे
दिल और दिल
खयालो मे ।

थोडा प्यार
थोडा गुस्सा
तेरे गुलाबी गालोमे ।

समंदर सी गहराई
देखी मैने
तेरी आखोमे ।

एक हसीन परछाई
कुछ खोई खोई
देखता हु सपनेमे ।

वही हो तुम परी
चाहु जब भी मै
देखता तुझे आइनेमे
Sanay R.

Wednesday, November 22, 2017

" आनंद "

वाटतं तुझ्याही फोटोवर
एक कविता लिहावी ।
सौंदर्याची तुझ्या
स्तुती थोडी करावी ।
हास्स्याची एक एक छटा
निरखुन थोडी बघावी ।
आनंदाच्या क्षणांची
उधळण थोडी जगावी ।
Sanjay R.

Tuesday, November 21, 2017

" परछाई "

कोइ अनजाना
कोइ अजनबी ।
रोज तो नही पर
मिलता कभी कभी ।

मील गया वो रात कल
थी आवाज कुछ दबी दबी ।
कह गया परछाई हु
लुट गया सब अभी अभी ।

खोनेको न बचा कुछ
तुट गये रीश्ते सभी ।
दिलमे फिर भी उम्मीद बाकी
चल रही सांसे तभी ।
Sanjay R.

" कत्ल "

देखा एक नजर जब
आखोमे तेरी ।
जाने कब मेरा
कत्ल ये दिल हो गया ।

बची है कुछ
सांसे अभी ।
के रुकने के पहले
दिल धडक गया ।

आह भी ना निकली
ना आसु टपके ।
कानोमे मेरी वो
कुछ कह गया ।

वक्त आया आखरी
फिरभी लगी है आस ।
अलविदा कहने
दिल तरस गया ।
Sanjay R.