Saturday, April 22, 2017

हास्य

डोळ्यात बघुन तुझ्या
चढते मजला नशा ।
चित होतो दिमाग
शोधतो तुज दस दिशा ।

मन होतं प्रसन्न
बघुन तुझं हास्य ।
बघत तुझ्या डोळ्यात
करायचं मज भाष्य ।
Sanjay R.

Wednesday, April 19, 2017

" ग्रिष्माची अदा "

ग्रिष्माची काय ती
अनोखी अदा ।
पहाट असते
रम्य सदा  ।
होताच दुपार
न भागे क्षुधा ।
सायंकाळ होताच
आईस क्रीम शोधा ।
रातराणीच्या गंधात
चंद्रावर चांदणी फिदा ।
Sanjay R.

Monday, April 17, 2017

" रास्ता और होगा "

जो आज है हमारा
वो कल न होगा ।
शायद आज से कल
खुबसुरत होगा ।
चलो चले दुर थोडा
रास्ता आगे और होगा ।
Sanjay R.

Saturday, April 15, 2017

" सुर संगीतके "

हो तुम कितनी
दुर फिर भी
लगता मुझे
हो पास मेरे ।
करता हु जब
याद तुम्हे
झिलमिलाते है
चांद सितारे ।
ओठोसे फिर
गुनगुन करते
ख्वाबो के ही
गीत प्यारे ।
तु मुझमे
मै तुझमे
संगीत के वो
सुर सारे ।
Sanjay R.

" कहानी अधुरी "

तुम तो हो मरे
व्खाबो की परी ।
कैसे सोचु मै बता
अपने दिलकी दुरी ।
तुम ही कर दो अब
मेरी चाहत पुरी ।
रह न जाये प्यारकी
कहानी यह अधुरी ।
Sanjay R.