हलकेच उठुन आली
गारव्याची एक लहर ।
थरथरले अंग माझे
मनात विचारांचा बहर ।
उठले वादळ आकाशी
चहुओर झाला कहर ।
कुणा मिळे माया उबदार
कुणा थंड वार्याचे प्रहार ।
Sanjay R.
Saturday, December 26, 2015
गारव्याची एक लहर
Friday, December 25, 2015
माझा मीच बरा
माझा मीच बरा
कोण इथं खरा ।
आटले पाणी आता
आटला निर्मळ झरा ।
नाही उरला माणुस
आजुबाजुला बघा जरा ।
नुसते डोंब आगीचे
चला जाउ या घरा ।
Sanjay R.
Sunday, December 20, 2015
फक्त तु
तुझ्या हसण्याचा
गोड मधुर स्वाद ।
तुझ्या असण्यचा
मजुळ असा नाद ।
तुझ्या रुसण्याचा
नसतो मग संवाद ।
नेत्र मग शोधतात तुला
मिटतात सारे विवाद
Sanjay R.
Friday, December 18, 2015
साथ साथ
याद है तुम्हे
एक रोज जब
थे हम साथ साथ
लिये हाथो मे हाथ ।
हुयी थी थोडी रात
और आई थी बरसात ।
कप कपा रहे थे दात
तबभी दीया होठो ने साथ ।
दील को हुवा कुछ संतोष
होठोने की जब बात ।
आजभी लीये उन शब्दोको
जी रहे हम साथ साथ ।
Sanjay R.
जिंदगी हमे जीना है
मिला है जब जनम हमे
जिंदगी तो जीनी है ।
एक दीन मौत को भी तो आना है
साथ उसके भी हमे जाना है ।
तब तक दील जो भी चाहे
वो सब कुछ हमे करना है ।
दो चार दीन कुछ
मील जाये अगर जादा
वो भी हमे जीना है
Sanjay R.
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