Monday, March 4, 2019

" तनहाई "

अनजान था वो
फिर भी  लगे पहचान पुरानी ।
हसता था जब वह
लगे यह तो मेरी ही कहानी ।
न जाने  कब खो गयी
यादोमे उसके हुई मै दिवानी ।
निंद मेरी उसने चुराई
ख्वाबमे भी थी उसकी परछाई ।
देखती हु बस उसिको
छोड गयी मुझे अब मेरी तनहाई ।
Sanjay R.

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