माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
आसुओकी एक बुंद उनकी आखोमे थी । फिरभी आपके खातीर चेहरेपे मुस्कान थी ।।
आखोमे उनके लाखो अरमान थे । ताकते रहे चेहरा नजरोसे अनजान थे ।
सपनो भरी दुनिया बसी आखोमे थी । न जाने नजरे फिर भी उदास थी । Sanjay R.
Post a Comment
No comments:
Post a Comment