Friday, October 23, 2015

" हैवान यहा बसते है "

इंसानोकी इस बस्ती मे
इंसान कितने बसते है ।
जिने मरने का हिसाब नही
नजाने जिंदगी कैसे जिते है ।
लुटते एक दुसरेको जब वो
भुलके इन्सानियत खुनभी बहाते है ।
ना बचे इंसान अब बस्तीमे
हैवानही अब यहा बसते है ।
Sanjay R.

रंग गुलाबी हवा हवासा
शोभुन दिसतो बघा कसा ।
गालासंगे मेळ जमला
नजर हटेना सोडु कसा ।
Sanjay R.

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