Monday, October 12, 2015

" नको बघु परत "

खुप चालायचं मला
वाटही खुप लांब
नाही अशी सरत ।
असच चालत राहु दे
लांब निघुन जाउ दे
बघणार नाही मागे परत ।
Sanjay R.

लेकर दिलमे कुछ अरमान
निकला था मै जब सफरको ।
रास्ते बहोत थे चारो दिशाओमे
पता न था कुछ जाना किधर है ।
बस चलता रहा जिंदगीभर युही
कुछ चमक जब नजर आई तो
पता चला मंजील तो यहा तकही थी ।
अलविदा अलविदा अलविदा ।
Sanjay R.

No comments: