Saturday, July 19, 2014

" बळीराजा त्रस्त "

काला है अंधेरा
उसका दिल भी कला ।
देखे सुरज जबभी
झुम उठता उजाला ।
Sanjay R.

पावसालाही कळल दिसत
नको तिथ बरसतो मस्त ।
वाट पाहताहेत शेतं तळी
बळीराजा झालाय त्रस्त ।
Sanjay R.

देखो जिंदगी
है ये मेहमान ।
कब निकल ले
पता नही ।
जब तक है
साथ अपने ।
कर लो
पुरे अरमान ।
Sanjay R.

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