Friday, August 2, 2019

" दूर कितना है ये चांद "

आदत से हु मजबूर मै
करना चिंता बस मेरा काम ।
लोग क्यू हसते बहोत
धुंडता हसी मै सुबह शाम ।
दूर कितना वह चांद बताओ
धरती पर भी है एक चांद ।
गीन पाया कौन बताओ
तारे गगनके और सूरज चांद ।
खुशीयोसे ना दूर रहो तुम
बिखरा है यहा कितना प्यार ।
जिंदगी सुख दुःख का सागर
राही हम सब , करना पार ।
Sanjay R.

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