Friday, August 17, 2018

" मै "

मै कौन हु, कौन हु मै
क्या अजनबी हू मै  ।

या कोई पहचाना हू मै
आपसा ही तो हू मै ।

फिर भी सोचता हू
क्या इन्सान हू मै ।

मै मै के पीछे पीछे
देखो कैसे भगता हू मै ।

कोई आगे कोई पीछे
आसमान कॊ छूता हू मै ।

करीब हू दिलके मगर
नही दिलको जानता हू मै ।

अपनोको अपना मानता हू मै
स्वार्थ के लिए मै ही चुनता हू मै ।

भूल जाता कौन हू मै
रक्त का प्यासा कभी बन जाता हू मै ।

नही याद राहता मुझे
मै के वास्ते कुछ भी कर लेता हू मै ।

इन्सान हू मगर
इन्सानियत ही तो भूल जाता हू मै
Sanjay R.

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