Tuesday, June 30, 2015

" राह जिंदगी की "

जिते जिते
साल गुजर गये ।
ना चला पता
कितने बरस हो गये ।
अब भी याद है
ओ गुजरा हुवा बचपन ।
क्खाबो को लिये हम
थे निकले जिंदगीकी राहपर ।
कभी गम कभी खुशी
बस युही चलते रहे हम ।
क्या पता किस्मतका
लिख्खी ऐसेही उसने होगी ।
बस युही एकदिन
निकल जायेगा दम ।
Sanjay R.

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