माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
लोकलचा प्रवास टायमाचा ध्यास । रोज रोज तेच पण तरीही असतो खास । Sanjay R.
सोचा था मैनेभी करु एक कवीता । भुल गया सबकुछ जब आ टपकी सवीता ।
चाहता तो मै खुब था पढुंगा आरामसे मै गीता क्या पता मुझेभी मीली है साथ उसके सीता Sanjay R.
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