माझ्या कविता - By Sanjay Ronghe
गया वो जमाना मौसम न रहा सुहाना रोज नया बहाना सुनना कभी सुनाना आशीक बडा दिवाना न खाना न पीना बस प्यार लुटाना गाना गुनगनाना चाहत उनको पाना दिल अनजाना हुवा फीर बेगाना अब रोना रुलाना और दुर चले जाना Sanjay R.
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